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Shiv Tandav Stotra in Hindi | शिव तांडव स्तोत्र |Ashutosh Rana| Aalok Shrivastav-इस पोस्ट में शिव तांडव स्तोत्र का हिंदी भावानुवाद जो कि Aalok Shrivastav जी द्वारा किया गया है, उसे Ashutosh Rana जी द्वारा प्रस्तुत किया गया है !!
जटाओ से है जिनके जल प्रवाह मात गंग का,गले में जिन के सज रहा है हार विष भुजंग का
डमड्ड मड्ड मड्ड डमरु कह रहा शिवः शिवम्,तरल,अनल,गगन,पवन,धरा धरा शिवः शिवम्
जो नंन्दनी के वंदनीय,नंन्दनी स्वरूप है,वे तीन लोक के पिता,स्वरूप एक रूप है
क्रपालू ऐसे है के चित्त जप रहा शिवः शिवम्, तरल,अनल,गगन,पवन,धरा धरा शिवः शिवम्
है नील कंठ सौम्य नील पंकजा समान है,मनुष्य क्या वे देवता के दंड का विधान है !
समक्ष उनके काल स्वयं भज रहा शिवः शिवम्,तरल,अनल,गगन,पवन,धरा धरा शिवः शिवम्
सदैव सर्व मंगला,कला के शीर्ष देवता वही विनाश काल है,वही जनक जनन सदा
नमन कृतज्ञ,प्राण यह जपे सदा शिवः शिवम्,तरल,अनल,गगन,पवन,धरा धरा शिवः शिवम्
वे शेष है,अशेष है,प्रशेष है,विशेष है जो उनको जैसा धार ले वो उसके जैसा वेष है
वे नेत्र सूर्य देवता का चंद्रमा का भाल है,विलय भी वे प्रलय भी वे,अकाल,महाकाल है
उसी के नाथ हो गये,जो उनके साथ हो लिया,वही के हो गये है वे जहाँ सुना शिवः शिवम्
डमड्ड मड्ड मड्ड डमरु कह रहा शिवः शिवम्,तरल,अनल,गगन,पवन,धरा धरा शिवः शिवम्
तरल,अनल,गगन,पवन,धरा धरा शिवः शिवम्
हर हर महादेव