Type Here to Get Search Results !

अकाल और उसके बाद || नागार्जुन

Top Post Ad

 कई दिनों तक चूल्हा रोया, चक्की रही उदास

कई दिनों तक कानी कुतिया सोई उनके पास

कई दिनों तक लगी भीत पर छिपकलियों की गश्त

कई दिनों तक चूहों की भी हालत रही शिकस्त

दाने आए घर के अंदर कई दिनों के बाद

धुआँ उठा आँगन से ऊपर कई दिनों के बाद

चमक उठी घर भर की आँखें कई दिनों के बाद

कौए ने खुजलाई पाँखें कई दिनों के बाद ||




-अकाल और उसके बाद || नागार्जुन

श्रेष्ठ कविता पढ़ने के लिए लिंक पर क्लिक करें |

Below Post Ad

Post a Comment

0 Comments
* Please Don't Spam Here. All the Comments are Reviewed by Admin.
Learn Digital Marketing