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सुमित्रानंदन पंत की कविता जीना अपने ही में… एक महान कर्म है || Sumitra Nandan Pant Poems in Hindi

एक कविता रोज़ में आज पढ़िये  जीना अपने ही में… एक महान कर्म है|| ‎सुमित्रानंदन पंत  की रचना....

सुमित्रानंदन पंत एक प्रसिद्ध हिंदी कवि थे जिन्हें छायावादएक रोमांटिक आंदोलनके पहले नेतृत्व माना जाता है।उनका जन्म 20 मई 1900 को कौसानीउत्तराखंडभारत में हुआ था और उनका निधन 28 दिसंबर 1977 को हुआ.



पंत की कविताएँ अपनी गाने वाली गुणवत्तागहरी भावनाओं और दार्शनिक माध्यमों के लिए प्रसिद्ध हैं।यहां सुमित्रानंदन पंत द्वारा लिखी गई मशहूर कविता जीना अपने ही में… एक महान कर्म है आपके लिये लाये हैं जो आपको जरुर पसंद आएँगी।

जीना अपने ही में

जीना अपने ही में… एक महान कर्म है
जीने का हो सदुपयोग… यह मनुज धर्म है
अपने ही में रहना… एक प्रबुद्ध कला है
जग के हित रहने में… सबका सहज भला है
जग का प्यार मिले… जन्मों के पुण्य चाहिए
जग जीवन को… प्रेम सिन्धु में डूब थाहिए
ज्ञानी बनकर… मत नीरस उपदेश दीजिए
लोक कर्म भव सत्य… प्रथम सत्कर्म कीजिए

~ सुमित्रानंदन पंत

आगे भी हम आपके लिये सुमित्रानंदन पंत की रोचक कविताएँ – Sumitranandan Pant Poems आपके लिए लाते रहयेगें  उम्मीद है  हमारी ये कोशिश आपको जरुर पसंद आएँगी।



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