दो में से क्या तुम्हे चाहिए कलम या कि तलवार
मन में ऊँचे भाव कि तन में शक्ति विजय अपारअंध कक्ष में बैठ रचोगे ऊँचे मीठे गानया तलवार पकड़ जीतोगे बाहर का मैदानकलम देश की बड़ी शक्ति है भाव जगाने वाली,दिल की नहीं दिमागों में भी आग लगाने वालीपैदा करती कलम विचारों के जलते अंगारे,और प्रज्वलित प्राण देश क्या कभी मरेगा मारेएक भेद है और वहां निर्भय होते नर -नारी,कलम उगलती आग, जहाँ अक्षर बनते चिंगारीजहाँ मनुष्यों के भीतर हरदम जलते हैं शोले,बादल में बिजली होती, होते दिमाग में गोलेजहाँ पालते लोग लहू में हालाहल की धार,क्या चिंता यदि वहाँ हाथ में नहीं हुई तलवारसाभार- कविताकोश