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सुमित्रानंदन पंत की कविता सुख-दुख || Sukh-Dukh Sumitra Nandan Pant Poems in Hindi

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सुमित्रानंदन पंत एक प्रसिद्ध हिंदी कवि थे जिन्हें छायावाद, एक रोमांटिक आंदोलन, के पहले नेतृत्व माना जाता है। उनका जन्म 20 मई 1900 को कौसानी, उत्तराखंड, भारत में हुआ था और उनका निधन 28 दिसंबर 1977 को हुआ। 


पंत की कविताएँ अपनी गाने वाली गुणवत्ता, गहरी भावनाओं और दार्शनिक माध्यमों के लिए प्रसिद्ध हैं। यहां सुमित्रानंदन पंत द्वारा लिखी गई मशहूर कविता सुख-दुख के बारे में बताया गया है .आपके लिये लाये हैं जो आपको जरुर पसंद आएँगी।

सुमित्रानंदन पंत की कविता सुख-दुख


सुख-दुख के मधुर मिलन से
यह जीवन हो परिपूरन;
फिर घन में ओझल हो शशि,
फिर शशि से ओझल हो घन !

मैं नहीं चाहता चिर-सुख,
मैं नहीं चाहता चिर-दुख,
सुख दुख की खेल मिचौनी
खोले जीवन अपना मुख !

जग पीड़ित है अति-दुख से
जग पीड़ित रे अति-सुख से,
मानव-जग में बँट जाएँ
दुख सुख से सुख दुख से !

अविरत दुख है उत्पीड़न,
अविरत सुख भी उत्पीड़न;
दुख-सुख की निशा-दिवा में,
सोता-जगता जग-जीवन !

यह साँझ-उषा का आँगन,
आलिंगन विरह-मिलन का;
चिर हास-अश्रुमय आनन
रे इस मानव-जीवन का !

                     ~ सुमित्रानंदन पंत


आगे भी हम आपके लिये सुमित्रानंदन पंत की रोचक कविताएँ – Sumitranandan Pant Poems आपके लिए लाते रहयेगें  उम्मीद है  हमारी ये कोशिश आपको जरुर पसंद आएँगी।


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